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बीच ही समुन्द्र कोसी माय / अंगिका

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बीच ही समुन्द्र कोसी माय
बोदिला भासल जाय हे
सोलह हाथ के सड़िया हे कोसी माय
बन्हि लेलोॅ हे
हेलिए गेलोॅ बीचला हे समुन्द्र हे
हेलिए जे डुबिए हे कोसी माय
बोदिला उपर कइलें
से हो बोदिला मांगे छअ बिआह हे
हमें तोरा पुछिओ रे बोदिला
जतिया ते ठेकान रे
तहूँ मांगे हमरों से बिवाह रे
हमहूँ जे छिकिये गे कोसिका
ओछि जाति चमार हे
हमें मांगियो तोरो से विवाह हे
कथी ले खियोलियो रे बोदिला
दूध भात कटोरबा रे
पोसि-पालि कइलियो जबान रे
तहूँ जे कइलें रे बोदिला
जातियो कुल हरण रे ।