बीन बजाओ
 
तार तार झंकार कर उठे
घोर व्यथा का भार हर उठे
प्राण प्राण से एक स्वर उठे
तान उठाओ
 
प्राणों को भर कर स्वर छलके
आभा नकई मुखों पर झलके
भुल जायँ सबको दुख कल के
गीत सुनाओ
 
(रचना-काल -19-2-62)
बीन बजाओ
 
तार तार झंकार कर उठे
घोर व्यथा का भार हर उठे
प्राण प्राण से एक स्वर उठे
तान उठाओ
 
प्राणों को भर कर स्वर छलके
आभा नकई मुखों पर झलके
भुल जायँ सबको दुख कल के
गीत सुनाओ
 
(रचना-काल -19-2-62)