बीरथा जलम हमारो गुरुजी म्हारो / निमाड़ी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

    बीरथा जलम हमारो गुरुजी म्हारो

(१) एक क्षण खोया दूजा क्षण खोया,
    तीजा म सरण आयो
    वन में तो गाय भैस चराये
    जंगल बास कियो...
    गुरुजी म्हारो...

(२) राज पाट धन माल सब त्यागू,
    म्हारा कंठ म प्राण आयो
    चरण धोवो रे चरणामत लेवो
    चलत आयो गस्त...
    गुरुजी म्हारो...

(३) झट मनरंग न गोद उठायो,
    मस्तक हाथ फिरायो
    राम नाम का शब्द सुणाया
    राम नाम लव लागी...
    गुरुजी म्हारो...

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.