Last modified on 25 जून 2010, at 22:43

बुढ़ापा / रमेश कौशिक

बुढापा - खेत में खड़ा एक डरावना
        बिजूका
बुढापा - एक पका हुआ फल जिसके
        टूटने का इंतज़ार
बुढापा - रात में खाँसता
        घर का चौकीदार
बुढापा - दवाई का बढ़ा हुआ खर्च
बुढापा - पल-पल एक याचना
बुढापा - मेरे चहरे पर दिखाई
       देती तस्वीर
बुढापा - महाशून्य में घूमता
       धूमकेतु .