"बुधिया" ऊसर में खिली, जैसे कोमल फूल।
बड़ी बड़ी क्षत्राणियाँ, उसके आगे धूल॥
उसके आगे धूल, दलितवधु इतनी मधुरिम।
जवाकुसुम सौंदर्य, अधर द्वय लगते रक्तिम॥
दिप-दिप करते नैन, दाँत की पंगत दुधिया।
"प्रेमचंद" की पात्र, बड़ी है अद्भुत बुधिया॥
"बुधिया" ऊसर में खिली, जैसे कोमल फूल।
बड़ी बड़ी क्षत्राणियाँ, उसके आगे धूल॥
उसके आगे धूल, दलितवधु इतनी मधुरिम।
जवाकुसुम सौंदर्य, अधर द्वय लगते रक्तिम॥
दिप-दिप करते नैन, दाँत की पंगत दुधिया।
"प्रेमचंद" की पात्र, बड़ी है अद्भुत बुधिया॥