चलो आज बारिश का पूरा मज़ा लो ।
ये बूँदों का गुलदस्ता घर में सज़ा लो ।
हँसो, खिलखिलाओ या भीगो, नहाओ
ये मनहूसियत मन से बाहर निकालो ।
बादल से झूमो या बिजली को चूमो
घटाओं का काजल आँखों में डालो ।
ये रिमझिम का मौसम, फुहारों की सरगम,
कहाँ हो अजी साज अपने सँभालो ।
गज़ल, दादरा, कोई ठुमरी या कजरी
जो मन में हो वो आज गा लो, बजा लो ।
अकेले-अकेले न बैठो जी छुप कर
ये मौक़ा मिला है तो मेला लगा लो ।