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बेकली आए बेख़ुदी आए / रविकांत अनमोल

बेकली आए बेख़ुदी आए
मेरे हिस्से भी शायरी आए

दिल को रहती है जुस्तजू जिसकी
वो मिरे सामने कभी आए

जिस में हम ज़िन्दगी को जी पाएँ
कोई तो ऐसी ज़िन्दगी आए

देख कर उसका फूल-सा चिह्‌रा
मेरी बातों में ताज़गी आए

मुन्तज़िर देर से हैं हम उनके
कह गये थे कि हम अभी आए

दिल ने अपने लिए जो माँगी थी
तेरे हिस्से वो हर ख़ुशी आए

मेरी ग़ज़लों से रौशनी बिख़रे
मेरे गीतों से सरख़ुशी आए

शे`र कहने का फ़ायदा जब है
बात जब उनमें कुछ नई आए

कुछ तो आ जाए मेरे हिस्से में
वस्ल आ जाए हिज्र ही आए

मेरे नग़्मों में कुछ नज़र उनको
मेरे इस दिल की तश्नगी आए