गीत हैं बेटियाँ, मीत हैं बेटियाँ।
प्रीति के छंद-सी, नेह आनंद-सी॥
मातु की लाड़ली, नाज से हैं पली।
हैं घटा सावनी, आयतें पावनी॥
ये जले दीप-सी, शुभ्र हैं सीप-सी.
पाक ये हव्य-सी, ज्योति हैं भव्य-सी॥
मारियेगा नहीं, भूल से भी कहीं।
बेटियाँ शान हैं, सृष्टि की जान हैं॥