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बेनूर जिंदगी / लता अग्रवाल

सो गया वह
आँखों में एक ख़्वाब लेकर
जागती थी जो
नित मेरा ही नाम लेकर

इंद्रधनुषी थी जो
रह गई ज़िन्दगी बेनूर होकर
टूट गया साज दिल का
रह गए तार बिखरकर

पिरोई थी जो संग हमने
नेह की माला सुगन्धित
देख लो वह कुसुम सारे
रह गए हैं मुरझाकर

फ़क़त दफन है
सीने में यादें तुम्हारी
जी चाहता है सो जाऊँ
पास तुम्हारे कफ़न ओढ़कर