निपट अकेलेपन में भी
कोई न कोई
साथ होता है,
इंसान के बस में न साथ है
न तनहाई,
बेबस इंसानों से खेलना
न जाने किसका शगल है
जिसे कुछ लोग
‘लीला’ कहते हैं !
निपट अकेलेपन में भी
कोई न कोई
साथ होता है,
इंसान के बस में न साथ है
न तनहाई,
बेबस इंसानों से खेलना
न जाने किसका शगल है
जिसे कुछ लोग
‘लीला’ कहते हैं !