बहती है बेरहम हवा पतझार की
उमग सर्द सिहरन-सी आती याद तुम्हारे प्यार की
पीले पीले पत्ते इसमें झर धीरे से झूलते
तभी असह हो उठती मुझको कटुता मेरी हार की।
बहती है बेरहम हवा पतझार की
उमग सर्द सिहरन-सी आती याद तुम्हारे प्यार की
पीले पीले पत्ते इसमें झर धीरे से झूलते
तभी असह हो उठती मुझको कटुता मेरी हार की।