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बै कांईं चावै / रामस्वरूप किसान

म्हैं
बां री मण्डळी में बोंलू
बै म्हारी अणदेखी करै
बात नै
हवा में उडावै

म्है
बां री मण्डळी में
मून साधूं
बै म्हनैं संकाळू बतावै

थे स्याणा हो
बै कांई चावै ?