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बोझ / मधु शर्मा


इसे किसे दूँ

सबके हिस्से का भी

अगर यह मेरे सिर है


कहाँ रखूँ इसे

इस अनुनय के साथ

कि ठेस न लगे

इसकी गरिमा को

और जीवन की तरह

हल्का और अखण्ड लगे


जैसे मृत्यु ।