इसे किसे दूँ
सबके हिस्से का भी
अगर यह मेरे सिर है
कहाँ रखूँ इसे
इस अनुनय के साथ
कि ठेस न लगे
इसकी गरिमा को
और जीवन की तरह
हल्का और अखण्ड लगे
जैसे मृत्यु ।
इसे किसे दूँ
सबके हिस्से का भी
अगर यह मेरे सिर है
कहाँ रखूँ इसे
इस अनुनय के साथ
कि ठेस न लगे
इसकी गरिमा को
और जीवन की तरह
हल्का और अखण्ड लगे
जैसे मृत्यु ।