जब मिली धरती
आकाश से
जब बने बादल
जब निपजे
खेत में धान के मोती
जब जन्मा शिशु
माँ की कोख से
तो मुझे हुआ बोध
अपने होने का।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा
जब मिली धरती
आकाश से
जब बने बादल
जब निपजे
खेत में धान के मोती
जब जन्मा शिशु
माँ की कोख से
तो मुझे हुआ बोध
अपने होने का।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा