बोलनि ही औरैं कछू, रसिक सभा की मानि।
मतिवारे समझै नहीं, मतवारे लैं जानि।
मतवारे लैं जानि आन कौं वस्तु न सूझै।
ज्यौ गूंगे को सैन कोउ गूंगो ही बूझै॥
भीजि रहे गुरु कृपा, बचन रस गागरि ढोलनि।
तनक सुनत गरि जात सयानप अलबल बोलनि॥
बोलनि ही औरैं कछू, रसिक सभा की मानि।
मतिवारे समझै नहीं, मतवारे लैं जानि।
मतवारे लैं जानि आन कौं वस्तु न सूझै।
ज्यौ गूंगे को सैन कोउ गूंगो ही बूझै॥
भीजि रहे गुरु कृपा, बचन रस गागरि ढोलनि।
तनक सुनत गरि जात सयानप अलबल बोलनि॥