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बोली तू सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा

जद तांई है
तद तांई सह!

बोली तूं सुरतां यूं आज!
ऐ करमा रा भाटा
बांध्या है जिका राम!
ऐ भरमा रा भाटा
रच्या जिका है गाम

दोनां रै बिचाळै
बोलबाला बै!
जद तांई है
तद तांई सह!

कूड़ बात है कविता सूं
जग मांय नाम मिलै!
आ तो बा सूळी है जिण पर
ताता डाम मिलै!

सिसकारो ई करणो कोनी
"ईसा" दांई रह!
जद तांई है
तद तांई सह!