बरियाती सब यहीं रुकीकेॅ करै छिलोॅ पहिलोॅ बिश्राम। सजी-धजी केॅ नया जोस सें दिखलाबेॅ उत्साह ललाम॥ अतर-सेंट के गंध उड़ायक्केॅ करै छिलोॅ महमोद यहाँ! बाजा-गाजा रंग-रबाइसोॅ के ऊ सुखद विनोद यहाँ॥