नई कांन्ह! नईं
थारौ म्हारौ ब्याव कोनी हो सकै!
म्हैं बिरज री एक गूजरी
थारी जांन री किण विध खातरी करस्यूं!
दायजौ कठा सूं लास्यूं!
जणा जणा रौ मन किण विध राखस्यूं!
सासरा नै किंयां केवटस्यूं?
नई कांन्ह! नईं
थारौ म्हारौ ब्याव कोनी हो सकै!
म्हैं बिरज री एक गूजरी
थारी जांन री किण विध खातरी करस्यूं!
दायजौ कठा सूं लास्यूं!
जणा जणा रौ मन किण विध राखस्यूं!
सासरा नै किंयां केवटस्यूं?