♦ रचनाकार: अज्ञात
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ब्याहन आए दोऊ कुंअर जनकपुर
धन्य-धन्य भाग्य तुम्हारे राजा दशरथ,
जिनने जे सुत पाये री हां कुंअर। जनकपुर...
धन्य-धन्य भाग्य तुम्हारे कौशिल्याजी,
जिनने गोद खिलाये री हां कुंअर। जनकपुर...
धन्य-धन्य भाग्य तुम्हारे सियाजी,
जिनने जे वर पाये री हां कुंअर। जनकपुर...
धन्य-धन्य भाग्य अवधवासिन के,
जिनने दर्शन पाये री हां कुंअर। जनकपुर...