इस ब्रह्माण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं॥
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं॥
1
वैज्ञानिक दृष्टि का पदार्थ नै आधार बताते
नाश हो सकता पर बदलै ना आकार सुणाते
निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते
हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं॥
2
जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ज्ञान कहैं
सुलझे ज्ञान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं
जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं
गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं
पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाऊँ मैं॥
3
मत विश्वास करो क्योंकि माँ बाप नै बताया सै
शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आँख मूंद अपणाया सै
परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै
प्रयोग तै करैं दोबारा वह सिद्धांत आगै आया सै
भाग्यवाद पै कान धरै ना उके धोरै जाऊँ मैं॥
4
वैज्ञानिक दृष्टि गुरु अपना चेला बताया होज्या
तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या
सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या
प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अन्धविश्वास नै खोज्या
रणबीर ज़ोर लगाकै बात खोज कै ल्याऊँ मैं॥