भई अब गिरिधर सों पैहचान।
कपट रूप धरि छल के आयौ, परषोत्तम नहिं जान।।
छोटौ बड़ौ कछू नहिं देख्यौ, छाइ रह्यौ अभियान।
"छीतस्वामि" देखत अपनायौ, विट्ठल कृपा निधान।।
भई अब गिरिधर सों पैहचान।
कपट रूप धरि छल के आयौ, परषोत्तम नहिं जान।।
छोटौ बड़ौ कछू नहिं देख्यौ, छाइ रह्यौ अभियान।
"छीतस्वामि" देखत अपनायौ, विट्ठल कृपा निधान।।