कौल करार विसारत हो, कित लागत बात वरावरु रे।
मालिक नाम गयंदहि छोड़ि, बखानत पाट पटम्बरु रे॥
संपति है वन संपति ढेरु, कहो कोउ लेइ गयो वपुरे।
धरनी नर-देह कहाफल जो, नहि जानु अलाह अकब्बरु रे॥11॥
कौल करार विसारत हो, कित लागत बात वरावरु रे।
मालिक नाम गयंदहि छोड़ि, बखानत पाट पटम्बरु रे॥
संपति है वन संपति ढेरु, कहो कोउ लेइ गयो वपुरे।
धरनी नर-देह कहाफल जो, नहि जानु अलाह अकब्बरु रे॥11॥