शिव शंकर की चौखट पर मैं,
मांगू यह वरदान!
भक्ति भाव से पूरित मन हो,
दूर रहे अभिमान!
स्नेहिल दीप जलाकर उर में, जग रोशन कर दूँ!
सारे जग की कटुता पीकर, अपनापन भर दूँ!
सच्चाई अच्छाई की हो
मुझको भी पहचान!
भक्ति भाव से पूरित---
त्रुटियों को स्वीकार करूँ प्रभु, मैं निर्भय होकर!
भौतिकता से दूर रहूँ परमात्मा में खोकर!
अपने कुल की मर्यादा का
रखूँ हमेशा ध्यान!
भक्ति भाव से पूरित---
अंत समय भी मुस्काऊँ मैं, निश्छल हो जीवन!
मेरे पास हमेशा हो प्रभु, शुभ कर्मो का धन!
पार करूँ हँस कर वैतरणी,
निकले जब यह प्रान!
भक्ति भाव से पूरित---