मुक्ति चाहूंगा ही क्यों मैं,
बंध ही गया जब तुमसे?
तभी जाना है : मुक्ति क्यों नहीं चाही
भक्त कवियों ने
चाहा तो बस भक्ति में रहना
संयोग हो चाहे
वियोग में होना।
मुक्ति चाहूंगा ही क्यों मैं,
बंध ही गया जब तुमसे?
तभी जाना है : मुक्ति क्यों नहीं चाही
भक्त कवियों ने
चाहा तो बस भक्ति में रहना
संयोग हो चाहे
वियोग में होना।