Last modified on 25 मई 2017, at 23:02

भगीरथ प्रयास / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

कहने छलथि
पुरुखा लोकनि ..
मात्र हमरे टा नहि..
सकल मिथिलाक गामगामक
टोल- चौड़ी -कुठाम- ठामक
तेत्तरि बेटा भीख मंगाबय
तेत्तरि बेटी राज बसाबय
माने! बेटा कतबो हुए
बेटीक बिनु सभ सुन्न
आ बेटी तीन तखन
कोनो काज नहि पूतक...
कतेक विलक्षण विचार छल
अपन पुरुखाक!
तकरा बिसरि लागल छलाह
तेत्तरि बेटा केँ आइएएस
बनयबाक लेल
क' रहल छलाह भगीरथ प्रयास
आब! टूटि गेलनि आश
सधि गेलनि विश्वास
बालक आइएएस त' नहि भेलथिन्ह
मुदा आई ए'स
अर्थात अपना मोने निरसल गदहा....
नहि कोनो जोगरक
हुरथि थारक-थार
नहि नीक बात विचार
नहि विधा -वैभव
नहि कोनो आचार
नहि लखथि खेत पथार
नहि सोहाबनि व्यापार
मुदा! बाप लागल रहलाहें...
मात्र! बेटाकेँ बनयबाक जोगार
तीनू बेटी भ' गेल छथि लाचार
नहि शिक्षा देलनि
आ ने परिवार बसयबाक संस्कार
आहि! अपना लेल खाधि
अपने लेलनि खुनि
हारि क' पड़ल रहलाहें देह -धुनि...
डाकक संग संग वंशक वाक् अर्थ
भोगि रहल छथि अरजल यथार्थ
सभ संतान एक्के रंग
आब सोचने की भेंटत यौ अपढंग?