प्रसंग:
गोकुल की नारियाँ कृष्ण-अवतार से प्रसन्न होकर यशोदा के घ्ज्ञर जाने की तैयारी कर रही हैं।
सुनऽ मोरी सजनी, साजऽ सकल शृंगार॥टेक॥
सुनलीं नया समाचार, भइल कृष्ण अवतार, उतरी धरती के भार॥ सुनऽ मोर.॥
कर कंचन के थार, लेके आरती सँवार; चलऽ यशोदा दुआर॥ सुनऽ मोर.॥
करऽ भेंट-अंकवार, मिलके सब परिवार; यथा बंश ब्योहार॥ सुनऽ मोर.॥
भिखारी कहे बारम्बार मन खुशीबा हमार दया कइलन त्रिपुरार॥ सुनऽ मोर.॥