प्रसंग:
श्रीकृष्ण का झूला पर झूलने का वर्णन।
झूला पर झूलत श्री महराज॥टेक॥
धर्म हेतु अवतरेउ लाल जी, मुदित बा सकल समाजा॥ झूला पर.॥
राम-कृष्ण कहि कजरी गावत, विविध भाँति गतिबाजा॥ झूला पर.॥
रेशम डोर जरित मणि मुक्ता मोर मुकुट सिर साजा॥ झूला पर.॥
दास ‘भिखारी’ आस चरन के साहेब गरीब-नेवाजा॥ झूला पर.॥