बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
भजमन राम सिया भगवानै,
कछू संग नइँ जानै,
धन सम्पत सब माल खजानौ,
रैजें येई ठिकानैं।
भाई बन्द उर कुटुम कबीला,
जे स्वारथ सब जानैं।
कैंड़ा कैसौ छोर ईसुरी,
हँसा हुयें रवानै॥
भजमन राम सिया भगवानै,
कछू संग नइँ जानै,
धन सम्पत सब माल खजानौ,
रैजें येई ठिकानैं।
भाई बन्द उर कुटुम कबीला,
जे स्वारथ सब जानैं।
कैंड़ा कैसौ छोर ईसुरी,
हँसा हुयें रवानै॥