Last modified on 31 मार्च 2017, at 13:46

भय / आभा पूर्वे

आज तो मैंने चाहा था
तुमसे प्यार की संपूर्णता
क्यों थरथरा गए तुम्हारे हाथ
संपूर्णता को समेटने में ।