Last modified on 13 दिसम्बर 2009, at 20:55

भरपूर / चंद्र रेखा ढडवाल


ठण्डे दिन का
आता-जाता सूरज
क्या दे जाता है
भरपूर
जो मैं सोचती
कि तुम मुझे दोगे