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भर गया गगन में धुआँ / अज्ञेय

जो था, सब हम ने मिटा दिया
इस आत्मतोष से भरे कि उस के हमीं बनाने वाले हैं
भर गया गगन में धुआँ हमारे कहते-कहते :
'स्वर्ग धरा पर हम ले आने वाले हैं!'

टॉटनेस, लंदन, 19 अगस्त, 1955