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भविष्यफल / मिरियम वेडर / अनिल जनविजय

भविष्यफलों का बड़ा सम्मान करती हूँ मैं
इतनी भावनात्मक उम्मीदें देते हैं वे आदमी को ।
एक बार एक भविष्यफल में
मेरी नामराशि के आगे लिखा था —
1929 में मेरी मुलाक़ात
होगी एक ख़ूबसूरत छैले से,
जो मुझे पहनाएगा शादी की अँगूठी ।

और लिखी थीं ऐसी ही कितनी शानदार बातें ।
मैं पूरे साल उस छैले का इन्तज़ार करती रही,
पर वह नहीं आया ।
शायद वह कोई टैक्स-कलेक्टर रहा होगा,
या, शायद, कुत्ता जाँच निरीक्षक ।

1930 में भविष्यफल में अटकल लगाई गई थी —
काफ़ी कमाई करूँगी मैं
और मेरी ख़राब वित्तीय हालत सुधर जाएगी ।
लेकिन शायद मेरी क़िस्मत ही ख़राब थी
कि जो शेयर मैंने ख़रीदे थे वसन्त में ख़ुशी-ख़ुशी
बाद में उनकी क़ीमत बहुत गिर गई थी । 

फिर समुद्र में तैरते एक मल्लाह की तरह,
रेल में सवार एक यात्री की तरह,
साल भर यात्रा करके,
मैं 1931 में पहुँच चुकी थी ।
पर उस साल भी अपने चमकते सितारों के बावजूद,
मैं केवल ट्राली बस में ही सवार हो पाई ।

फिर अपनी ख़राब क़िस्मत के बावजूद,
मैं भविष्यफलों की बहुत आभारी हूँ
कि उन्होंने मुझे बताया कि 1932 का साल
होगा मेरे लिए एक अनुकूल समय
लक्ष्मी ख़ुद आएगी
और मेरा दरवाज़ा खटखटाएगी,
मैं करूँगी विदेश यात्राएँ,
और बहुत से देशों में कई सज्जन पुरुष 
बड़े जोश के साथ दिलचस्पी दिखाएँगे मुझमें ।

और अब इसके बावजूद कि मैं रहने लगी हूँ
अपने घर पर काफी शान्तिपूर्ण और सामान्य ढँग से,
कोई मुझे अपना वारिस नहीं बनाता,
और विवाह प्रस्ताव नहीं रखता मेरे सामने ।
यह जानकर बहुत ही सुकून मिलता है
कि स्वर्ग में ऐसी कोई योजना कभी नहीं बनेगी !

मूलअँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए अब मूल अँग्रेज़ी में यह कविता पढ़िए
                   Miriam Vedder
                     Horoscopes

I’ve high esteem for horoscopes
They give one such romantic hopes.
Mine said I’d meet a very fine
Young man in 1929,
And intimated wedding rings,
And other such inspiring things,
I waited for him all the year,
But that young man did not appear
Unless he was a tax-collector,
Or, possibly, the dog-inspector.

In 1930 speculation
Was to achieve the elevation
Of my depressed financial state.
But something might have sidetracked Fate
The stocks I bought that happy spring
Today are not worth anything.

A voyager upon the sea,
A traveller in wagons-lits,
I should, before the year was done,
Have been in 1931.
And yet, despite the friendly stars,
I only rode on trolley cars.

But though my fortunes have declined,
I’m vastly gratified to find
That 1932 should be
A most propitious year for me,
With riches knocking on my doors,
And sojourning on foreign shores,
And gentlemen of many nations
Offering fervent protestations.

For even though I seem to stay
At home in quite the usual way,
And no one names me as an heir,
And suitors are extremely rare,
It’s very comforting to know
That Heaven never planned things so!