Last modified on 9 दिसम्बर 2009, at 22:21

भविष्य / अनिल जनविजय

याद हैं मुझे
तुम्हारे वे शब्द
तुमने कहा था--

एक दिन आएगा
जब आदमी
आदमी नहीं रह पाएगा
वह बंजर ज़मीन हो जाएगा
या ठाठें मारता समुद्र