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भव-चक्र / नंदकिशोर आचार्य

भव-चक्र यह सारा
यदि किसी आवाज़ का है रूप
तो यह कैसे हुआ-

तुम्हारी आवाज़ की लय हो पाना ही
मुक्ति है मेरी?
तुम्हारा भव ही
मेरा भाव है क्या-
और भव-चक्र ही है मुक्ति?