भागीरथी (कविता अंश)
सेाच मत कर ग्रीष्म को लख हे सदय भागीरथी,
दीन होगा क्यों हिमालय के सदय भागीरथी।
पहुँच कर तट पर तुम्हारे पुण्य दर्शन छू तुम्हारे चरण पावन,
खो तुम्हीं में प्राण खोजेगें निलय भागीरथी।
खो गयी मरू- भूमि में जो आज प्यासी मिट रही,
सेाच उसका भाग्य तुम पाओ न भय भागीरथी।
(कविता भागीरथी का अंश)