Last modified on 9 जून 2024, at 17:08

भाग चले सब / विष्णुकांत पांडेय

रेंक - रेंक कर गदहा बोला —
चलो, चलें घर, यार !
भूखा हूँ, खाने दो जीभर —
बोला चतुर सियार ।

घड़ी देखकर भालू बोला —
बीत गई अब रात,
भाग गए वन को सबके सब
भली लगी यह बात ।