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भाड़ / श्रीनाथ सिंह

गर्मी जो आयी
तो लाई लपट लू
जल उठा भड़भूजे का भाड़
उसने भी लाई की ,
- कि शुरू भुनाई।

इतनी भुनाई की , इतनी भुनाई,
कि लाई कड़ कड़ाई जैसे हाड़
प्यास लगी पानी पिया
उसको पसीना हुआ
इतना पसीना हुआ इतना पसीना
कि लाई उतराई जैसे माड़।