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भादो अन्हरिया तीथ अठमी, जनम लेल जदुबर हे / अंगिका लोकगीत

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भादो कृष्णाष्टमी को कृष्ण का जन्म हुआ। उन्हें लेकर वसुदेव घोर जंगल होकर अंधेरी वर्षा की रात में नंद के घर चले। यमुना के बढ़े हुए जल को देखकर वसुदेव घबरा उठे। यमुना की धारा कृष्ण की चरण-रज का स्पर्श करके फिर उतर गई और वसुदेव गोकुल पहुँचे। नंद के घर में सभी सोये हुए थे। उन्होंने कृष्ण को यशोदा के पास सुला दिया तथा वे उनकी पुत्री को लेकर वापस आ गये।
इस गीत की कथा ऐतिहासिक तथ्य पर आधृत-सी है।

भादो अन्हरिया तीथ<ref>तिथि</ref> अठमी, जनम लेल जदुबर हे।
ललना, बसुदेब चललै पहुँचाबै, नंद जी के घर हे॥1॥
राति जे घोर अन्हारि, सिंह बन में बोलै हे।
ललना, ऊपर बरसै मेघ, पात तरुबर डोलै हे॥2॥
सोचै मन बसुदेब चित घबड़ायल हे।
ललना, केना के उतरब पार, जमुना जल बाढ़ल हे॥3॥
किसुन के चरन रज परसि, जमुना थाह भेल हे।
ललना, पार उतरल सिरी किसुन, नंद घर गेल हे॥4॥
नींद से मातल सब घर बासी, कोए नहीं जानल हे।
ललना, जसोदा ढिग देल किसुन, कनिया<ref>कन्या</ref> लय आनल हे॥5॥

शब्दार्थ
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