पञ्चांग बता रहा है कि
सूर्य का उत्तरा नक्षत्र में हुआ प्रवेश
महिष वाहन के समेत
घने स्याह बादलों से भरा है आकाश
जैसे काज़ल से भरी हो उसकी अनगिन आंखें
साथ ही सजा हो बड़ा - सा दिठौना गाल पर
धरा सोख ले अधिक से अधिक जल
उर्वर बनी रहे भूमि
आने वाले अनेकों वर्षा विहीन माह तक
लहलहाए भूमि पुत्रों का श्रम
इसलिए रात्रि में भी अंधकार
और दिन में भी अंधकार का साम्राज्य
चौमासे उपरांत दिखेगा फिर
चावल के दानों - सा धवल आकाश
और मकई आब - सा नभ का अधिपति हमारा सूर्य