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भाय जी/ अनिरुद्ध प्रसाद विमल

इक कहानी आय तोरा, हम्में सुनैभौं भाय जी
भटकी रास्ता सें गेलोॅ छौं देश तोरोॅ भाय जी

लोर आँखी सें बहि केॅ गंगा-यमुना धार भेलै
कानी-कानी केॅ पुकारौं आय भरत के भाय जी

पीर-शोषित देश के-सुनैवाला छै कोय नै
देह देश के नोची-नोची सब्भैं गेलै खाय जी

विश्वास जनता रोॅ जीती केॅ पंच बनलै जे सिनी
भाषणो ॅ पर देश रो ॅ खेती करै वैं भाय जी

लूट आरो आतंक सें भयवीत जन-जन छै यहाँ
लाज देशोॅ के केना बचतै कहोॅ तोंय भाय जी

कठिन कीचड़ भ्रष्टता के संसद जहाँ बदनाम छै
धूल तक में शूल भरलोॅ पाँव बचावोॅ भाय जी

ई विमल विश्वास हमरोॅ जगना जरुरी छौं तोरहौ
शपथ माँटी के तोरा, सुती नै जइयोॅ भाय जी ।