इक कहानी आय तोरा, हम्में सुनैभौं भाय जी
भटकी रास्ता सें गेलोॅ छौं देश तोरोॅ भाय जी
लोर आँखी सें बहि केॅ गंगा-यमुना धार भेलै
कानी-कानी केॅ पुकारौं आय भरत के भाय जी
पीर-शोषित देश के-सुनैवाला छै कोय नै
देह देश के नोची-नोची सब्भैं गेलै खाय जी
विश्वास जनता रोॅ जीती केॅ पंच बनलै जे सिनी
भाषणो ॅ पर देश रो ॅ खेती करै वैं भाय जी
लूट आरो आतंक सें भयवीत जन-जन छै यहाँ
लाज देशोॅ के केना बचतै कहोॅ तोंय भाय जी
कठिन कीचड़ भ्रष्टता के संसद जहाँ बदनाम छै
धूल तक में शूल भरलोॅ पाँव बचावोॅ भाय जी
ई विमल विश्वास हमरोॅ जगना जरुरी छौं तोरहौ
शपथ माँटी के तोरा, सुती नै जइयोॅ भाय जी ।