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भारत के सपूत / मुनेश्वर ‘शमन’

भारत के पूत-सपूत सभे।
निज देस के मान बढ़ाव• सब खुद।
सरकार करे कइसे सब कुछ,
तूँ अप्पन फरज निभाव• खुद ?

कइसन-कइसन कते समस्या।
बड़-बडगो खड़ा झमेला हे
कुछ देस-दसा पर कर• गौर
पसरल दु:ख-दरद के मेला हे
उजड़ल-पुजड़ल-सन लगय बाग
तन-मन-धन लगा सजाव• खुद।

देखाल जाहे सब चीजे ले
देसे से उमेद हे जन के
ई सोच मुदा एकतरफा हे
देसो के आस हे जन-जन से
लोगवे के त्याग-करमठता से
सँवरे हे देस, सँवार• खुद।

जनते तो राष्ट्र के रीढ़ हकय
जाइसन जनता ओइसन देस
जब हीन करम हो लोग बाग
तब देस के कइसे सजे भेस
बासिये के निष्ठा-सदगुन से
निखरे हे बटन निखार• खुद

हक के साथे हइ फर्ज जुडल
कोय एकरा कइसे रहल भूल
अब प्रबल बनल अधिकार हियाँ
बस माँग पकड़लक खूब तूल
केकरो देने ताक• हा की ?
बढ़-चढ़ के वतन निखार• खुद।

जखनइ से ज़ोर लगत सबके
कर गुजराय ले निज नेक करम
भइया, भारत के रूप-रंग
खिल उठत, देस चमकत चमचम
मन में झाँक• आगू ताक•
मिल-जुल के डेग उठाव• खुद।