जय जय जय यहे भारत माता!
रजत मुकुट पहने गिरीश है तुझको सादर शीश झुकाता
जय जय जय यहे भारत माता!
कलरव करती गंगा-यमुना, बरसाती सौन्दर्य-मधुरिमा,
हिमगिरि-हिय से बह कर आती गाती है तेरी गुण गरिमा।
पद-पद्मों को धो रत्नाकर, सादर मौक्तिक-माल चढ़ाता है।
जय जय जय यहे भारत माता!
सुमन खचित अंचल में तेरे, लहराते माँ मंजुल धान।
सुरभित आम्र-वनों में कोयल गाती मधुमय पंचम गान।
जुही-कामिनी-बेला से माँ यह बसन्त है तुझे सजाता।
जय जय जय यहे भारत माता!
नीरव नील गगन-अंचल में, मुकुलित होते इन्दु प्रभाकर।
तुझे सजाती राका-अरुणा, छाया-पथ से सत्वर आकर।
कुमुद-कलश में भर-भर परिमल तुझ पर मलयानिल बरसाता।
जय जय जय यहे भारत माता!