भालू की हजामत‌ / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

बाल हुए जब बड़े-बड़े, बूढ़े भालू चाचा के।
गुस्से के मारे चाची, उनको बोलीं झल्लाके।।

बाल कटाने उंट शाह के, घर क्यों ना जाते हो?
बागड़ बिल्ला बने घूमते-फिरते इतराते हो।।

भालू बोला उंट शाह ने, भाव कर दिए दूने।
साठ टके देने में बेगम, जाते छूट पसीने।।

इतनी ज्यादा मंहगाई है, टके कहाँ से लाऊं?
 सोचा इससे है जीवन भर, कभी न बाल कटाऊं।।

नहीं हजामत भालू जी ने, अब तक है बनवाई।
बड़े-बड़े बालों मेंहरदम, रहते भालू भाई।।

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