भावनाओ की स्याही में डूबे
कुछ अक्षरो को
शब्दो की सुई में पिरोकर
विदा कर देता हूँ
तेरी ओर
और एक तुम सब
खिड़की दरवाजे बंद करके
भी बाहर ताकना नहीं भूलता
भावनाओ की स्याही में डूबे
कुछ अक्षरो को
शब्दो की सुई में पिरोकर
विदा कर देता हूँ
तेरी ओर
और एक तुम सब
खिड़की दरवाजे बंद करके
भी बाहर ताकना नहीं भूलता