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भाषा / राग तेलंग

आदमी मन ही मन जो भाषा बोलता है
वही उसकी मातृभाषा है
वही उसके पेट की भाषा होगी
वही उसकी पीढ़ी की भाषा
वही देश की भाषा भी

भाषा आदमी के रहते तक रहेगी
आदमी खत्म,भाषा खत्म
भाषा खत्म,आदमीयत खत्म

जो बचेगा,वो पढ़ेगा
जो पढ़ेगा,वो बचेगा ।