खांसी आती है
पिता को, मां को भी
गांव के घर में,
अकेली बची दो चारपाइयां
करवट के बहाने बोलती हैं।
थके शरीर/लापता नींद और सपने
चुक गईं बार-बार दुहराई बातें,
कभी-कभी लगता है
खांसी उनका रोग नहीं
भाषा है।
खांसी आती है
पिता को, मां को भी
गांव के घर में,
अकेली बची दो चारपाइयां
करवट के बहाने बोलती हैं।
थके शरीर/लापता नींद और सपने
चुक गईं बार-बार दुहराई बातें,
कभी-कभी लगता है
खांसी उनका रोग नहीं
भाषा है।