मेरी पीठ पर टिकी
एक नन्हीं-सी लड़की
मेरी गर्दन में
अपने हाथ डाले हुए
जितना सीख कर आती है,
उतना ही मुझे सिखाती है ।
उतने में ही अपना
सब कुछ कह जाती है ।
मेरी पीठ पर टिकी
एक नन्हीं-सी लड़की
मेरी गर्दन में
अपने हाथ डाले हुए
जितना सीख कर आती है,
उतना ही मुझे सिखाती है ।
उतने में ही अपना
सब कुछ कह जाती है ।