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भाषा विभाग,पंजाब सरकार / तेरे ख़ुशबू में बसे खत / राजेंद्र नाथ 'रहबर'

पिछले पांच दशकों से निरंतर काव्य साधना करने वाले जनाब राजेन्द्र नाथ 'रहबर` का उर्दू काव्य जगत में विशेष स्थान है। अबुल-बलागत़ पं. रतन पंडोरवी के लाइक़ शार्गिद के रूप में अपना शे`री सफ़र शुरू करने वाले श्री 'रहबर` अब ख़ुद रेख्त़ा (उर्दू का प्राचीन नाम) के कामिल उस्ताद का दर्जा हासिल कर चुके हैं। आप की रचनाएं जहां कला पक्ष से जीवन और सादगी का ख़ूबसूरत मुजस्समा (प्रतिमा) हैं वहां विषय पक्ष से इन्सानी ज़मीर की आवाज़ भी हैं। आसान और सादा शब्दों में बे-हद गम्भीर ख़यालात के इज़हार में महारत रखने वाले जनाब 'रहबर` की काव्य-कृतियां जीवन की मूल वास्तविकता, नैतिक क़द्रों क़ीमतों और इन्सानी रिश्तों का दर्पण हैं।
आप की तहरीरें बहते पानियों को आग लगाने वाली ही नहीं बल्कि इन्सानी रगों में दौड़ रहे ख़ून को भी हरारत प्रदान करती हैं। आप की शायरी महबूब की ज़ुल्फ़ों की असीर नहीं बल्कि यह नए और मौलिक अंदाज़ में आधुनिक इन्सान को दर-पेश समस्याओं और मानसिक तनावों का सार्थक विश्लेषण भी है।
    समूह साहित्यिक जगत को, समाज की सेहतमन्द रहनुमाई करने वाले ऐसे अदबी रहबर पर गर्व है।

    पठानकोट
भाषा विभाग पंजाब