ऐसा लगा ढेरो हरसिंगार
आँचल में समेटे है मैंने
शायद
कुछ तारे भी टूट कर मेरे आँचल में गिर गए है
या बैजंती फूलों का गुच्छा बालो में खोंस लिया
लगता है चन्दन वन ये देह हो गई
लेकिन मुझे इन सब से क्या
तुम्हारे पास से आकर
ठहर जो गया है दरिया मेरे पास
उसमे भीग रही हूँ मैं