वह अकेला था
उस दिन
जब उसे परहेज था
शब्दों से
वह अकेला हैं
आज भी
जब शब्द भिनभिना रहें हैं
मक्खियों की तरह
अपने साथ रहते हुए
कितनी राहत थी उसे!
भीड़ ने कितना
अकेला बना दिया उसे
वह अकेला था
उस दिन
जब उसे परहेज था
शब्दों से
वह अकेला हैं
आज भी
जब शब्द भिनभिना रहें हैं
मक्खियों की तरह
अपने साथ रहते हुए
कितनी राहत थी उसे!
भीड़ ने कितना
अकेला बना दिया उसे